Edited By : Test | Apr 19, 2025, 10:03:00 PM
Nishikant Dubey Controversial statement: वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर इन दिनों सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है, और इसी मुद्दे पर देश की राजनीति भी गर्माई हुई है। संसद से कानून पारित होने के बावजूद, फिलहाल इसे लागू नहीं किया जा सका है। इस मामले पर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि "देश में छिड़े गृहयुद्धों के लिए मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं।"
शनिवार, 19 अप्रैल को मीडिया से बातचीत में दुबे ने आरोप लगाया कि "धार्मिक संघर्षों को भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है।" उन्होंने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, "अगर सुप्रीम कोर्ट को ही कानून बनाना है, तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए। दुबे ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट का एक ही सिद्धांत है – ‘मुझे चेहरा दिखाओ, मैं तुम्हें कानून दिखाऊंगा।’ यह न्यायपालिका अपनी सीमाओं से बाहर जा रही है। यदि हर बात के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना है, तो संसद और राज्य विधानसभाओं का कोई औचित्य नहीं रह जाता।"
उन्होंने समलैंगिकता से जुड़े कानूनों का उदाहरण देते हुए कहा, "अनुच्छेद 377 में पहले समलैंगिकता को बड़ा अपराध माना गया था। ट्रंप प्रशासन ने भी यह स्पष्ट किया है कि इस दुनिया में केवल दो ही लिंग हैं – पुरुष और महिला। हर धर्म – चाहे वह हिंदू, मुस्लिम, सिख, बौद्ध या जैन हो – समलैंगिकता को अपराध मानता है। लेकिन एक दिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।"
निशिकांत दुबे ने कहा, "अनुच्छेद 141 के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के फैसले पूरे न्याय तंत्र पर लागू होते हैं, जबकि अनुच्छेद 368 के अनुसार केवल संसद को कानून बनाने का अधिकार है।" उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि "सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति और राज्यपाल से कैसे पूछ सकता है कि विधेयकों पर क्या करना है?" राम मंदिर, कृष्ण जन्मभूमि और ज्ञानवापी जैसे मामलों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, "इन मामलों में कोर्ट कागज़ दिखाने को कहता है, लेकिन जब मुगलों के समय बनी मस्जिदों की बात आती है, तब कहते हैं कि कागज़ कहां से लाओगे?"
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की नियुक्ति प्रक्रिया पर भी सवाल उठाया और कहा, "राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते हैं। संसद कानून बनाती है। फिर सुप्रीम कोर्ट उन्हें निर्देश कैसे दे सकता है? आपने किस कानून के तहत यह कहा कि राष्ट्रपति को तीन महीने के भीतर फैसला देना होगा? यह सब देश को अराजकता की ओर ले जा रहा है।" इससे पहले भी निशिकांत दुबे ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा था, "अगर सुप्रीम कोर्ट कानून बनाता है, तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए।"
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